Thursday, February 11, 2010

कोहराम

आँधियाँ चाहे उठाओ, बिजलियाँ चाहे गिराओ

जो जल रहा है दीप तो जलता ही रहेगा ।


आ गईं जो अड़चनों की शिलाऍ रास्ते में

मैं धारा हूँ को मेरा रास्ता बनना होगा


चली आ रही हूँ दूर से काँटों के सफ़र पे

अब फूलों को मेरी राह में बिछना होगा


पीड़ा के बोझ को झेला है बहुत मैंने

दुर्भाग्य को अब मेरा सौभाग्य बनना होगा


चुप है मुद्दतों से मेरा ज़मीं और आसमान

हिला दे जो ज़माने को इसे वो कोहराम बना होगा


पहुँचना आसमां तक मेरा हरगिज़ मुश्किल नहीं

मैं बेल हूँ तुम्हें मेरा संबल बनना होगा


पत्थरों के जहाँ मैं रहते रहते थक गयी हूँ मैं

इन पत्थरों को अब मेरा भगवान बनना होगा

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