Friday, February 12, 2010

साँझा व्यापार


मेरे पथिक

चलो एक साँझा व्यापार करते हैं

मुनाफा भी आधा – आधा और नुकसान भी

खुशियाँ भी आधीआधी और उदासी भी


व्यापार करते हैं आत्मा का

और खरीद लेते हैं आत्मा एक दूसरे की

सुनो ये आसमान बेचोगे, जरा तारे तो टाँक दूँ इसमें

और मेरी धरती तुम ले लो, बनाते हैं एक किला समंदर के किनारे

और देखो तुम्हारी पोटली में क्या है

और एक पोटली मेरे भी पास है

चलो बाँट लेते है अपना – अपना सामान

मेरे होठों की आधी मुस्कान तुम्हारी

तुम्हारी आँखों में अटका ये नन्हा - सा आँसू मेरा

साथ बिताये कुछ अनकहे लम्हे दे दो मुझे

और बदले में ले लो कुछ अजन्मे कच्चे सपने

और सुनो तुम्हारी उलझनों को सुलझाने को

कुछ सामान मेरी पोटली पड़ा है


जरा मुस्कुरा तो दो

तुम्हारी मुस्कराहट से छँट जायेगें

सारे काले - काले बादल तकलीफों के

मुसाफिर मेरा हाथ कसके पकडे रहना

मुश्किलों का ये तूफ़ान बस थमने को है

मत घबराना इन परछाईयों से

इनका अस्तित्व तो बस क्षण भर का हैं

घबराओं मत इन हवाओं से मुसाफिर

हमें साथ देखकर इन्हों ने अपना रुख बदल लिया है

क़दमों को शिथिल न होने देना मेरी आत्मा

मैं साथ खड़ी हूँ तुम्हारे अचल अडिग


चलो तो आगे बदें हम अपनी जीत सफ़र पर साथ साथ

हाँ बांटने को लिए कुछ और भी बचा है

मेरा हाथों की लकीरें और तुम्हारे माथे की शिकन

लाओ तो पोंछ दूँ ये शिकन अपने आँचल से

और मेरे हाथों की लकीरें

चलो बाँट लें लकीरें आधी- आधी

चलो बाँट लें उमर आधी- आधी

1 comment:

  1. really so nice...

    These words shows a very faith between two persons.
    Oh..my God..really superb..
    keep writing....

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